94972. سُمَيْنة1 94973. سَمِينة1 94974. سن4 94975. سنّ1 94976. سِنّ سُمَيْرَةَ1 94977. سِنّ مُبَكِّر194978. سَنَّ 1 94979. سنأ 1 94980. سَنَا3 94981. سنا6 94982. سِنًّا1 94983. سَنَاء2 94984. سُنَاء الدين1 94985. سَنّاب1 94986. سِناب1 94987. سَنَابَاذُ1 94988. سَنَابل1 94989. سناج2 94990. سَنَّاج1 94991. سِنَاج1 94992. سَنَّاجي1 94993. سِنَاجي1 94994. سَنَاجِيَةُ1 94995. سَنَّاخِي1 94996. سَنَّادة1 94997. سِنَادِيَّة1 94998. سَنَّادِيَّة1 94999. سَنَاروذ1 95000. سِنَّارِيّ1 95001. سُنَّاريّ1 95002. سَنَّارِيّ1 95003. سَنَّاعي1 95004. سَنَاعِي1 95005. سَنَّاف1 95006. سَنَّاق1 95007. سِنام1 95008. سَنَامٌ1 95009. سنامورة1 95010. سَنَّان2 95011. سِنَان1 95012. سِنَانُ1 95013. سِنَاني1 95014. سَنّانِي1 95015. سناه1 95016. سناور1 95017. سَنَاي1 95018. سناي1 95019. سَنْب1 95020. سَنِب1 95021. سنب6 95022. سَنَبَ 1 95023. سنباج1 95024. سُنْبادَج1 95025. سُنْبَاذَةُ1 95026. سُنْباذَين1 95027. سَنْباط1 95028. سُنْباطُ1 95029. سَنْبَاطي1 95030. سِنْبال1 95031. سَنَبَانُ1 95032. سِنباوي1 95033. سَنْبَاوِي1 95034. سنبت2 95035. سَنْبَتاً1 95036. سنبخ2 95037. سنبذ1 95038. سنبذج1 95039. سنبر3 95040. سُنُبرَ1 95041. سنبس4 95042. سِنْبِسُ1 95043. سنبط1 95044. سنبق3 95045. سُنْبُقي1 95046. سنبك9 95047. سَنْبَكَ1 95048. سُنْبكُ1 95049. سنبل11 95050. سَنْبَلَ1 95051. سُنْبُلُ وسُنْبُلانُ...1 95052. سُنْبُلان1 95053. سُنْبُلَةُ1 95054. سُنْبُلَة1 95055. سُنْبُلِي1 95056. سنبم1 95057. سَنْبَمُو1 95058. سنبه1 95059. سنبهة1 95060. سَنَبُو1 95061. سَنَبُوسُ1 95062. سَنْبوْسَج1 95063. سنبوسك1 95064. سَنْبِيلُ1 95065. سِنّة1 95066. سُنَّة1 95067. سَنَّة1 95068. سنة3 95069. سَنَةٌ1 95070. سنة دراسيَّة1 95071. سَنَتَ1 Prev. 100
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سِنّ مُبَكِّر

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سِنّ مُبَكِّر
الجذر: س ن ن

مثال: تَزَوَّجَ في سِنّ مبكِّر
الرأي: مرفوضة عند الأكثرين
السبب: لمعاملة كلمة «سِنّ» معاملة المذكَّر، وهي مؤنَّثَة.

الصواب والرتبة: -تَزَوَّج في سِنّ مبكِّرة [فصيحة]-تَزَوَّج في سِنّ مبكِّر [صحيحة]
التعليق: ذكرت المعاجم القديمة والحديثة كالمصباح واللسان والوسيط أن كلمة «سِنّ» مؤنثة سواء أريد بها العمر أو إحدى أسنان الفم. فالجملة الأولى فصيحة لاشَكَّ في ذلك. ويمكن تصحيح الاستعمال المرفوض، الذي عوملت فيه الكلمة معاملة المذكر اعتمادًا على أنَّ الكلمة من المؤنث المجازي الخالي من علامة التأنيث، وهو نوع من المؤنث ذهب كثير من القدماء إلى جواز تذكيره، مثل المبرِّد وابن السكيت والأزهري، وقد حكي عن المبرِّد أنه كان يقول: «ما لم يكن فيه علامة تأنيث وكان غير حقيقي التأنيث فلك تذكيره»، وفي خاتمة المصباح: «والعرب تجترئ على تذكير المؤنث إذا لم يكن فيه علامة تأنيث».
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