147202. ينص1 147203. يَنصُوبُ1 147204. يَنْضَب1 147205. يَنْضُجُ1 147206. يَنْضَح1 147207. يَنْظُم1147208. يَنَعَ3 147209. ينع15 147210. يَنْعَبُ1 147211. يَنْعُق1 147212. ينعق1 147213. يَنْعِهِ1 147214. ينعه1 147215. ينغضون1 147216. يُنْغِضُونَ1 147217. ينف1 147218. يَنَفَ 1 147219. يَنْفُر1 147220. يَنْفِضُ1 147221. ينق3 147222. يَنْقُبُ1 147223. يَنْقَسِم إلى1 147224. يَنْقِم على1 147225. يَنكِثُ1 147226. يَنْكِث1 147227. يَنْكَح1 147228. يَنْكِص1 147229. يَنْكَفُ1 147230. يَنكوبُ1 147231. ينكي دنيا1 147232. يَنْكِيرُ1 147233. ينم7 147234. يَنُمّ1 147235. يَنَمَ 1 147236. يَنْمَار1 147237. يَنْمِي1 147238. ينن1 147239. يَنهَاد1 147240. يَنْهَجُ1 147241. يَنْهُش1 147242. يَنْهِي1 147243. ينُور1 147244. يَنُورِي1 147245. يَنُوفُ1 147246. ينوفَةُ1 147247. يَنوقُ1 147248. يُنَوِّم1 147249. ينَيْرَ1 147250. ينيه1 147251. يه1 147252. يَهَّ 1 147253. يِهَابُ الدِّين1 147254. يهاب الدين1 147255. يُهَان1 147256. يَهَبَ1 147257. يهب3 147258. يَهْبُطُ1 147259. يهت6 147260. يَهْتُفُ1 147261. يَهْدِف1 147262. يَهْدُم1 147263. يهديه1 147264. يهر5 147265. يَهَرَ 1 147266. يَهْرَب1 147267. يَهْرَعُ1 147268. يهرعون1 147269. يُهْرَعُونَ1 147270. يهره1 147271. يَهِزّ1 147272. يهزه1 147273. يَهْسَر1 147274. يهف1 147275. يَهِق1 147276. يَهْلَك1 147277. يَهَمَ1 147278. يهم10 147279. يَهَمَ 1 147280. يهمت1 147281. يَهْمِس1 147282. يهموت1 147283. يهن1 147284. يَهْنَا1 147285. يهه1 147286. يَهْوَار1 147287. يهود1 147288. يهودا1 147289. يهودي1 147290. يهوديت1 147291. يهي1 147292. يَهْيَا1 147293. يهيا2 147294. يَهِيب2 147295. يَهِيج1 147296. يَهْيَهَ1 147297. يهيه6 147298. يوأمه1 147299. يوئيل1 147300. يوا1 147301. يواب1 Prev. 100
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يَنْظُم
الجذر: ن ظ م

مثال: يَنْظُم الشِّعْر
الرأي: مرفوضة عند الأكثرين
السبب: للخطأ في ضبط عين المضارع بالضمّ.
المعنى: يؤلف كلامًا حَسَب قواعده

الصواب والرتبة: -يَنْظِم الشِّعْر [فصيحة]-يَنْظُم الشِّعْر [صحيحة]
التعليق: الثابت في المعاجم أنَّ الباب الصرفيَّ للفعل «نَظَم» بالمعنى المذكور هو: «ضَرَبَ»؛ ومن ثمَّ تكون عينه مكسورة في المضارع. ويمكن تصحيح الضبط المرفوض استنادًا إلى رأي بعض اللغويين كأبي زيد وابن خالويه وغيرهما الذين يرون قياسية الانتقال من فتح عين الفعل في الماضي إلى ضمها أو كسرها في المضارع؛ ولشيوع التبادل بين بابي ضَرَب ونَصَر في العديد من القراءات القرآنية.
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